उज्जैन- 2 दिनों बाद दीपावली आने वाली है इस आने वाली दीवाली के पर्व को मद्देनजर रखते हुए उज्जैन मंडी कार्यालय द्वारा कृषि उपज मंडी को 6 दिनों तक बंद रखने का फैसला लिया गया ,उज्जैन कृषि उपज मंडी को 12 नवंबर गुरुवार धनतेरस के दिन से बंद किया गया ओर मंडी 18 नवंबर यानी भाई दुज के एक दिन बाद खुलेगी वहीं मंडी सचिव ने बताया कि 12 से 17 नवंबर तक मंडी पूर्ण रूप से बंद रहेगी अब 18 नवंबर को मंडी नए मूहर्त से खुलेगी आपको बता दे की हर साल उज्जैन मंडी का नया साल भाई दूज के एक दिन बाद मनाया जाता है ओर इस दिन जो पहली बैलगाड़ी में किसान द्वारा अपनी फसल लाई जाती है,उस फसल को पूरे मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बोली में खरीदा जाता है साथ ही इस दिन का भाव सामान्य दिनों से 4 गुना होता है यह भाव सभी जिंसो (jinso) पर लागू होता है।
पूरे प्रदेश की मंडी से 4 गुना ज्यादा भाव होता है दीवाली पर
पिछले 15 सालो से उज्जैन मंडी में परम्परा है कि दीवाली के बाद जब मंडी को पुनः खोला जाता है तो 10 भाग्यशाली किसानों में से सबसे पहले किसान कि ट्राली को पूरे प्रदेश की मंडी से ज्यादा भाव मिलता है इस दिन जो भाव मिलता है वो किसानों के लिए अकल्पनीय होता है इस दिन नीलामी कि पहली बोली देखने के लिए उज्जैन के कलेक्टर ओर मंडी सचिव भी मौजूद होते है। यह परम्परा कई सालो से चलती आ रही है व्यापारियों का मानना है कि मूहर्त में वे जितने की नीलामी करते है वह नीलाम की गई फसल उतने में ही उनसे बिकती है ऐसा कई बार हो चुका है इसी कारण इस दिन सोयाबीन ओर गेहूं की फसल का सबसे अधिक भाव होता है। एक अनुमान के मुताबिक इस दिन सोयाबीन कि सूरुआती कीमत 12000 रुपए हो सकती है जबकि सामान्य दिनों में सोयाबीन की कीमत 3000 रुपए तक ही होती है।
विवाद कि आशंका होती है
इस महंगे भाव में अपनी फसल को बेचने के लिए लोग अपनी बैलगाड़ी या टैक्टर लेकर बड़ी दूर से कुछ दिनों पहले ही इकट्ठा हो जाते है।लेकिन मंडी कार्यालय को पहले आने वाले व्यक्ति की जानकारी नहीं होती ओर लोगो में विवाद शुरू हो जाता एक कहता कि में पहले आया वहीं दूसरा कहता की में पहले आया इशी विवाद को हल करने के लिए मंडी कार्यालय द्वारा प्रथम पाली के 10 लोगो को चुना जाता है ओर इनमें से भाग्यशाली एक व्यक्ति की फसल को सबसे अधिक कीमत में खरीदा जाता है कीमत पूरे मध्य प्रदेश की मंडी के भाव की 4 गुना होती है।