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फिजिक्स डिपार्टमेंट में इंटरनेशनल ईयर ऑफ क्वांटम साइंस पर कार्यक्रम मनाया गया । |
क्वांटम प्रौद्योगिकियां 21वीं सदी की सबसे रोमांचक और तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकियों में से हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर विकसित हो रहे सिद्धांतों से कई व्यावसायिक अनुप्रयोग सामने आएंगे। ऐसे में क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महारत हासिल करने वाले देश कई गुना आर्थिक संवृद्धि तथा विश्व में अग्रणी भूमिका प्राप्त कर सकते हैं |
उज्जैन : फिजिक्स डिपार्टमेंट उज्जैन के सर सीवी रमन लेक्चर हॉल में मंगलवार को इंटरनेशनल ईयर ऑफ क्वांटम साइंस के प्रथम तत्वाधान में डिपार्टमेंट की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. स्वाति दुबे की अध्यक्षता में तथा प्रोफेसर संदीप तिवारी की सह अध्यक्षता में 2025 को क्वांटम साइंस का इंटरनेशनल ईयर घोषित होने पर एस.एन. मेमोरियल विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम सचिव डॉक्टर गणपत अहिरवार व डॉक्टर निश्चल यादव थे, तथा इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर सुप्रजन्य ठाकुर (SVVV, इंदौर) व डॉक्टर तरुण कुमार शर्मा (RRCAT, इंदौर) थे, इस कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज व रजिस्ट्रार प्रोफेसर अनिल कुमार शर्मा भी मौजूद थे। कार्यक्रम के सचिव डॉक्टर निश्चल यादव ने बताया कि भौतिकी में क्वांटम किसी भी भौतिक गुण (फिज़िकल प्रॉपर्टी) की सबसे छोटी संभव असतत (discrete) इकाई है। यह आमतौर पर एटॉमिक या सब एटॉमिक कणों के गुणों को संदर्भित करता है, जैसे- इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रिनो और फोटॉन|
तथा डॉक्टर गणपत अहिरवार ने बताया कि क्वांटम प्रौद्योगिकी, क्वांटम यांत्रिकी द्वारा परिभाषित सिद्धांतों पर आधारित तथा भौतिकी और इंजीनियरिंग का एक उभरता हुआ क्षेत्र है। यह भौतिकी का एक ऐसा उपक्षेत्र है जो एटॉमिक और सब एटॉमिक स्तर पर पदार्थ एवं ऊर्जा की प्रकृति तथा व्यवहार की व्याख्या करता है। तथा उन्होंने टिंडल प्रभाव भी समझाया ।
आज के इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम माता सरस्वती की पूजा अर्चना की गई उसके पश्चात अतिथियो का स्वागत किया गया एवं उसके पश्चात RRCAT इंदौर से पधारे मुख्य अतिथि डॉक्टर तरुण कुमार शर्मा ने बताया कि क्वांटम मैकेनिक्स में दो सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है
1. सुपरपोजिशन (Superposition) : यह अंतिम मापन से पहले समान अवधि में क्वांटम कणों के कई अवस्थाओं में होने की क्षमता है, अर्थात् माप या अंतिम आकलन से पहले तक क्वांटम, सुपरपोज़िशन में होते हैं। इसे उन्होंने श्रॉडिंगर का बिल्ली प्रयोग उदाहरण द्वारा समझाया।
2. एंटैंगलमेंट (Entanglement) : इसका आशय ऐसी स्थिति से है जहाँ दो या दो से अधिक क्वांटम कण इस तरह से जुड़े होते हैं कि उनका व्यक्तिगत रूप से मापन कर पाना असंभव होता है। फिर भी एक कण के मापन का उपयोग, ठीक उसी क्षण, दूसरे कणों के बारे में निष्कर्ष निकालने के लिए किया जा सकता है।
आज के इस कार्यक्रम के दूसरे मुख्य अतिथि श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय, इंदौर से पधारे डॉक्टर सुप्रजन्य ठाकुर ने लेजर लाइट पर अपना विस्तृत व्याख्यान दिया।
इस कार्यक्रम में डॉक्टर रतना अग्रवाल, फिजिक्स डिपार्टमेंट रिसर्च स्कॉलर अर्पित फुल्के, अन्य डिपार्टमेंट के शिक्षकगण व फिजिक्स डिपार्टमेंट के विद्यार्थी एवं अन्य डिपार्टमेंट के विद्यार्थी भी उपस्थित रहे तथा उन्हें आज के इस कार्यक्रम से काफी प्रसन्नता हुई।